
भोपाल गैस कांड के 40 साल बाद, यूनियन कार्बाइड कारखाने का 337 टन जहरीला कचरा गुरुवार सुबह इंदौर के पास स्थित पीथमपुर की एक औद्योगिक अपशिष्ट निपटान इकाई में भेजा गया। अधिकारियों के अनुसार, इस कचरे को भोपाल से 250 किलोमीटर दूर धार जिले के पीथमपुर स्थित एक वेस्ट डिपोजिट यूनिट में 12 सीलबंद ट्रकों में भेजा गया। इस पूरी प्रक्रिया के दौरान कड़ी सुरक्षा व्यवस्था रखी गई थी, और ट्रकों का मार्ग ‘ग्रीन कॉरिडोर’ के माध्यम से निर्धारित किया गया था।
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स्थानीय नागरिकों ने विरोध प्रदर्शन
इस कचरे के पीथमपुर भेजे जाने पर स्थानीय नागरिकों ने विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिया है। उनका आरोप है कि इस कचरे को यहां नष्ट करना मानव जीवन और पर्यावरण के लिए खतरनाक हो सकता है। पीथमपुर की 1.75 लाख की आबादी के लोग इस मुद्दे पर बंद का आह्वान भी कर रहे हैं। नागरिकों की चिंताओं को ध्यान में रखते हुए, प्रदेश सरकार ने इस कचरे के सुरक्षित निपटान की गारंटी दी है।
कचरे के निपटान के लिए 4 हफ्तों का समय
गौरतलब है कि भोपाल गैस कांड 2-3 दिसंबर 1984 की रात को हुआ था, जब यूनियन कार्बाइड कारखाने से जहरीली मिथाइल आइसोसाइनेट (MIC) गैस का रिसाव हुआ था, जिससे हजारों लोग मारे गए और कई लोग अपंग हो गए। इस गैस कांड को विश्व की सबसे बड़ी औद्योगिक आपदाओं में से एक माना जाता है। मध्य प्रदेश हाई कोर्ट ने कचरे के निपटान के लिए 4 हफ्तों का समय सीमा तय की थी, और चेतावनी दी थी कि अगर निर्देशों का पालन नहीं किया गया तो अवमानना की कार्यवाही की जाएगी।
धुएं को विशेष फिल्टर से किया जायेगा साफ
वर्तमान में, राज्य के गैस राहत और पुनर्वास विभाग के निदेशक स्वतंत्र कुमार सिंह ने बताया कि इस कचरे के कुछ हिस्से को जलाकर जांचा जाएगा और फिर उसकी राख की वैज्ञानिक जांच की जाएगी। उन्होंने यह भी बताया कि जलाने के दौरान निकलने वाले धुएं को विशेष फिल्टर से साफ किया जाएगा, ताकि वायु प्रदूषण से बचा जा सके।
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10 टन कचरे को किया जा चूका है नष्ट
2015 में पीथमपुर में 10 टन कचरे को नष्ट किया गया था, लेकिन उसके बाद कुछ स्थानीय कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि इससे आस-पास के गांवों की मिट्टी और जल स्रोतों में प्रदूषण फैल गया था। हालांकि, अधिकारियों ने इस दावे को खारिज करते हुए कहा कि सभी पहलुओं की जांच के बाद ही वर्तमान प्रक्रिया को शुरू किया गया है, और इस बार किसी प्रकार की चिंता की बात नहीं है।