
नीम करोली बाबा, जिन्हें महाराज जी के नाम से भी जाना जाता है, आधुनिक भारत के सबसे प्रभावशाली संतों में से एक थे। उनका जीवन और विचार आज भी लाखों लोगों को प्रेरित करते हैं। बाबा का मानना था कि एक सच्चे इंसान का कर्तव्य है पूरी मानवता की भलाई में योगदान देना। जाति, धर्म, और अमीर-गरीब के भेदभाव से परे रहते हुए उन्होंने अपना जीवन समर्पित किया। बच्चों और महिलाओं के प्रति उनका विशेष स्नेह था और उनका कहना था कि भविष्य इन बच्चों के हाथों में है। अगर हम बच्चों को सही दिशा में प्रशिक्षित करें, तो वे न केवल खुद को बल्कि समाज को भी प्रगति की राह दिखा सकते हैं।
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जीवन में जरूर होंगे सफल, नीम करोली बाबा की इन विचारों को रखें याद
नीम करोली बाबा ने अपने जीवन में कुछ विशेष आदतें अपनाई थीं, जिन्हें उन्होंने हमेशा अपने अनुयायियों को भी अपनाने के लिए कहा। उनका मानना था कि ये आदतें न केवल बच्चों के व्यक्तित्व को संवारती हैं, बल्कि उनका मानसिक और नैतिक विकास भी सुनिश्चित करती हैं। तो आइए, जानते हैं उन पांच आदतों के बारे में जिन्हें बच्चों को सिखाना चाहिए ताकि वे जीवन में आगे बढ़ सकें:
- दिन की शुरुआत प्रार्थना से करें
नीम करोली बाबा का जीवन प्रार्थना और ध्यान से भरा था। वह हमेशा ब्रह्म मुहूर्त में उठकर हनुमान जी की पूजा करते थे। उनका मानना था कि बच्चों को सुबह उठते ही भगवान का धन्यवाद करना चाहिए। इस आदत से उनमें आभार की भावना विकसित होती है। एक साधारण प्रार्थना या मंत्र से शुरुआत करवा सकते हैं, जिससे उनका मन शांत होगा और दिन की शुरुआत ऊर्जावान होगी। इस आदत से बच्चे समस्याओं का सामना न कर, उन्हें सुलझाने की क्षमता विकसित करेंगे। - नियमित दिनचर्या अपनाएं
बाबा हमेशा नियमित दिनचर्या का पालन करते थे, और वह इसे जीवन के हर पहलू में जरूरी मानते थे। बच्चों को यह सिखाएं कि दिन का हर पल निर्धारित तरीके से बिताना चाहिए—समय पर उठना, खाना, पढ़ाई और खेलना। इससे उन्हें अनुशासन और जिम्मेदारी का अहसास होता है। जब बच्चे अनुशासन में रहते हैं, तो वे खुद को और अपने समय को महत्व देते हैं। - दूसरों की मदद करने की भावना डालें
नीम करोली बाबा ने अपनी पूरी जिंदगी असहायों की मदद में बिता दी। उनका मानना था कि दूसरों की मदद करना एक सबसे बड़ा गुण है। बच्चों को इस आदत में ढालें, ताकि वे जरूरतमंदों की मदद करने के लिए हमेशा तैयार रहें। यह उन्हें करुणा, दया और इंसानियत का पाठ सिखाता है। बच्चों को छोटी-छोटी मदद जैसे दोस्त की मदद करना या घर के कामों में हाथ बंटाना सिखाएं। - ध्यान और योग की प्रैक्टिस कराएं
हनुमान जी के भक्त बाबा ने हमेशा ध्यान और योग को महत्वपूर्ण बताया। उनका मानना था कि बच्चों को मानसिक और शारीरिक रूप से स्वस्थ रखने के लिए रोज़ 5-10 मिनट ध्यान या योग करना बेहद फायदेमंद है। सरल योगासन और गहरी सांस लेने की तकनीक से बच्चों की एकाग्रता और शारीरिक क्षमता में सुधार होता है। ध्यान उनके मन को शांत करता है और उन्हें मानसिक तनाव से मुक्त करता है। - कहानियों से नैतिक शिक्षा दें
नीम करोली बाबा हमेशा नैतिक और प्रेरणादायक कहानियों को पढ़ते और सुनते थे। उनका मानना था कि बच्चों को रामायण, महाभारत, पंचतंत्र जैसी कहानियों के माध्यम से जीवन के मूल्य समझाए जाने चाहिए। ये कहानियाँ बच्चों को सही और गलत का फर्क समझाती हैं और उनकी कल्पना शक्ति को भी बढ़ाती हैं।
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इन 5 आदतों का असर:
ये आदतें शायद आपको साधारण लगें, लेकिन इनका प्रभाव जीवनभर रहता है। बच्चे जब इन आदतों को जीवन का हिस्सा बना लेते हैं, तो वे आत्मविश्वास और सकारात्मक सोच से भरे होते हैं। वे किसी भी चुनौती का सामना साहस के साथ करते हैं और जीवन के हर पहलू को समझते हुए आगे बढ़ते हैं। मानसिक और नैतिक रूप से मजबूत बच्चे एक सफल और खुशहाल जीवन जीते हैं। बचपन से ही ये आदतें बच्चों के साथ रहती हैं और उन्हें एक अच्छा इंसान और बेहतर नागरिक बनाती हैं।
(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी धार्मिक शास्त्रों पर आधारित है और केवल सूचनात्मक उद्देश्य से प्रदान की जा रही है। multaitalks.com इसकी पुष्टि नहीं करता है।)