
क्या आप जानते हैं कि एक ऐसी बेरी है जो दिखने में चांदी जैसी होती है और इसकी खेती करके आप लाखों रुपये कमा सकते हैं? आज हम बात कर रहे हैं अखरोट की, एक ऐसे जादुई फल की जिसके बारे में शायद ही कोई जानता हो। अखरोट एक ऐसा सुपरफूड है, जिसे खाने से सेहत को कई लाभ मिलते हैं। इसकी खपत बढ़ने के साथ-साथ इसकी खेती भी किसानों के बीच एक अच्छा विकल्प बन रही है। इस आर्टिकल में हम अखरोट के फायदे और इसकी खेती के बारे में विस्तार से जानेंगे।
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अखरोट के फायदे
- दिल की सेहत के लिए फायदेमंद: अखरोट में ओमेगा-3 फैटी एसिड्स की प्रचुरता होती है, जो दिल को स्वस्थ रखने में मदद करते हैं। यह रक्तचाप को नियंत्रित करने और हृदय रोगों के जोखिम को कम करने में सहायक है।
- मस्तिष्क के लिए लाभकारी: अखरोट में एंटीऑक्सिडेंट्स होते हैं जो मस्तिष्क की कार्यक्षमता को बढ़ाते हैं। यह मानसिक थकान को कम करने, याददाश्त को सुधारने और न्यूरोलॉजिकल हेल्थ को बनाए रखने में मदद करता है।
- त्वचा और बालों के लिए लाभकारी: अखरोट का सेवन त्वचा को ग्लोइंग और स्वस्थ बनाए रखता है। यह बालों को भी मजबूत और चमकदार बनाता है, क्योंकि इसमें आवश्यक फैटी एसिड्स और विटामिन E की अच्छी खुराक होती है।
- वजन नियंत्रण में सहायक: अखरोट का सेवन पेट भरने का एहसास कराता है, जिससे अधिक खाने की इच्छा कम होती है। यह वजन घटाने में मददगार साबित हो सकता है, खासकर जब इसे सही मात्रा में खाया जाए।
- मजबूत हड्डियाँ और जोड़ों के लिए: अखरोट में कैल्शियम, मैग्नीशियम और फास्फोरस होते हैं, जो हड्डियों को मजबूत बनाने में मदद करते हैं। इसके सेवन से गठिया और अन्य हड्डी संबंधित समस्याओं में राहत मिल सकती है।
- स्मूथ पाचन: अखरोट में फाइबर की मात्रा अधिक होती है, जो पाचन क्रिया को बेहतर बनाती है और पेट की समस्याओं को दूर करने में सहायक होती है।
अखरोट की खेती कैसे करें?
अखरोट की खेती एक लाभकारी व्यापार बन चुकी है, लेकिन इसके लिए सही जलवायु, मिट्टी और देखभाल की आवश्यकता होती है। यदि आप अखरोट की खेती करना चाहते हैं, तो निम्नलिखित बिंदुओं का ध्यान रखें:
- मिट्टी का चयन: अखरोट के पेड़ के लिए दोमट या हल्की बलुई मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। मिट्टी का पीएच 6 से 7 के बीच होना चाहिए। अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में यह पेड़ अच्छा उगता है।
- जलवायु: अखरोट को ठंडी जलवायु पसंद है, जिसमें सर्दियों में हल्की ठंड और गर्मियों में हल्की गर्मी हो। यह मुख्य रूप से पहाड़ी क्षेत्रों में उगता है, लेकिन इसे समशीतोष्ण जलवायु में भी उगाया जा सकता है।
- पौधे का चयन: अखरोट के पेड़ को लगाने से पहले उच्च गुणवत्ता वाले पौधों का चयन करें। विशेष रूप से, अच्छे प्रकार के नर्सरी से पौधे लें, ताकि स्वस्थ और अधिक उत्पादक पेड़ उग सकें।
- बुवाई का तरीका: अखरोट के पौधों को सीधे बुवाई या गमलों में रोप कर उगाया जा सकता है। बुवाई के दौरान ध्यान रखें कि पौधों के बीच पर्याप्त दूरी हो, ताकि वे अच्छे से बढ़ सकें। सामान्यतः पौधों के बीच 8 से 10 फीट की दूरी रखना उचित होता है।
- सिंचाई: अखरोट के पेड़ को नियमित पानी की आवश्यकता होती है, खासकर जब पेड़ नए उग रहे हों। हालांकि, अत्यधिक पानी से पेड़ की जड़ें सड़ सकती हैं, इसलिए सिंचाई संतुलित रूप से करें।
- उर्वरक और देखभाल: अखरोट के पेड़ के लिए जैविक खाद का इस्तेमाल फायदेमंद होता है। आपको समय-समय पर पेड़ के नीचे मिट्टी की जांच करके उसकी उर्वरक की आवश्यकता का निर्धारण करना चाहिए। पेड़ के बढ़ने के साथ-साथ उसे नियमित रूप से कटाई, छंटाई और कीट नियंत्रण की आवश्यकता होती है।
- कटाई और उत्पादन: अखरोट के पेड़ पर फल 4-5 साल बाद आना शुरू होते हैं। जब फल पूरी तरह से पक जाएं और शेल (खोल) में दरार आ जाए, तो उन्हें सावधानी से तोड़ा जा सकता है।
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अखरोट की खेती कमाई
अखरोट का बाजार में हमेशा अच्छा मूल्य होता है, क्योंकि इसका इस्तेमाल खाद्य उद्योग, कन्फेक्शनरी, हेल्थ प्रोडक्ट्स और आयुर्वेदिक दवाओं में होता है। भारत में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी अखरोट की निर्यात मांग बढ़ रही है। इस प्रकार, किसानों को इसके अच्छे दाम मिल सकते हैं। एक किलो अखरोट की कीमत 500 से 700 रुपये तक हो सकती है, जो पूरी फसल के मूल्य को बढ़ा देती है। अखरोट की खेती में निवेश लंबे समय में होता है, क्योंकि इसे 5 से 7 साल में पूरा उत्पादन मिलने लगता है। लेकिन इसके बाद, हर साल अखरोट की उपज लगातार होती रहती है।