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लंगसेट, जिसे आमतौर पर “लंगसी” या “गाजर घास” भी कहा जाता है, एक औषधीय पौधा है जो कई तरह के स्वास्थ्य लाभ प्रदान करता है। इसकी खेती और उपयोग कृषि और आयुर्वेद दोनों के लिए बहुत फायदेमंद साबित हो सकता है। इस आर्टिकल में हम लंगसेट के फायदे और इसकी खेती के बारे में विस्तार से जानकारी देंगे।धरती का एकमात्र भरोसेमंद फल जो ढलती उम्र में भी भरेगा नई जवानी का जोश, लौटा देगा बदन की खूबसूरती जान ले नाम लंगसेट एक ऐसा फल है जो न केवल स्वादिष्ट है बल्कि कई बीमारियों से लड़ने में भी मदद करता है। 

लंगसेट के फायदे

  1. स्वास्थ्य लाभ: लंगसेट का इस्तेमाल पारंपरिक आयुर्वेद में कई समस्याओं के इलाज के लिए किया जाता है। यह शरीर में विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालने में मदद करता है और शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है।
  2. पाचन में सुधार: लंगसेट पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है और गैस, ऐंठन, और अन्य पाचन संबंधित समस्याओं को दूर करने में मदद करता है। यह एक प्राकृतिक एंटीसिड है।
  3. त्वचा के लिए लाभकारी: लंगसेट के पत्तों का रस त्वचा पर लगाने से मुहांसों और दाग-धब्बों में राहत मिलती है। यह त्वचा के इलाज में भी कारगर माना जाता है।
  4. जोड़ों के दर्द में आराम: लंगसेट के पत्तों का उपयोग जोड़ों के दर्द और सूजन को कम करने के लिए भी किया जाता है। इसके सेवन से हड्डियों को भी मजबूती मिलती है।
  5. एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण: लंगसेट में एंटी-इन्फ्लेमेटरी गुण होते हैं, जो शरीर में सूजन और संक्रमण को कम करने में मदद करते हैं।

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लंगसेट की खेती कैसे करें?

लंगसेट की खेती करना बहुत सरल है, लेकिन इसके लिए सही जलवायु और मिट्टी की आवश्यकता होती है। यदि आप लंगसेट की खेती करना चाहते हैं, तो निम्नलिखित बातों का ध्यान रखें:

  1. मिट्टी का चयन: लंगसेट के लिए हल्की बलुई या दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त मानी जाती है। मिट्टी का पीएच स्तर 6 से 7 के बीच होना चाहिए। अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी में यह पौधा आसानी से उगता है।
  2. जलवायु: लंगसेट गर्म और आर्द्र जलवायु में अच्छी तरह से उगता है। यह पौधा धूप पसंद करता है, लेकिन अत्यधिक ठंड में इसे नुकसान हो सकता है।
  3. बुवाई का तरीका: लंगसेट के बीजों को सीधी बुवाई से खेत में बोया जा सकता है। बुवाई से पहले खेत की अच्छी तरह से जुताई करें और समतल कर लें। बीजों को 2 से 3 सेंटीमीटर गहरा बोएं और बुवाई के बाद हल्की सिंचाई करें।
  4. सिंचाई: लंगसेट को नियमित रूप से पानी की आवश्यकता होती है, लेकिन ज्यादा पानी से पौधे की जड़ें सड़ सकती हैं। इसलिए सिंचाई का ध्यान रखें, खासकर जब मिट्टी सूखी हो।
  5. उर्वरक का प्रयोग: खेती के दौरान जैविक उर्वरकों का उपयोग करें, ताकि पौधे की वृद्धि बेहतर हो। गोधन या कम्पोस्ट खाद का उपयोग फसल को बेहतर बढ़ने में मदद करता है।
  6. कीट और रोग नियंत्रण: लंगसेट की खेती में कीट और रोगों का ध्यान रखना जरूरी है। जैविक कीटनाशकों का उपयोग करके आप पौधों को सुरक्षित रख सकते हैं।
  7. फसल की कटाई: लंगसेट के पौधों को 3 से 4 महीने बाद काटा जा सकता है, जब पौधे पूरी तरह से विकसित हो जाएं। इसकी पत्तियाँ और जड़ें दोनों का इस्तेमाल औषधि बनाने में किया जा सकता है।

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निष्कर्ष

लंगसेट एक बहुत ही फायदेमंद औषधीय पौधा है, जिसका उपयोग स्वास्थ्य संबंधी विभिन्न समस्याओं के इलाज में किया जाता है। इसके खेती से किसानों को अच्छा मुनाफा मिल सकता है, खासकर अगर वह जैविक खेती में रुचि रखते हैं। सही जलवायु, मिट्टी और देखभाल से लंगसेट की खेती की जा सकती है और इसका पूरा लाभ उठाया जा सकता है।

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