
प्रयागराज महाकुंभ 2025 में इस बार एक खास चेहरे ने सबका ध्यान खींच लिया है। सोशल मीडिया पर एक युवती की साध्वी के रूप में तस्वीरें और वीडियो तेजी से वायरल हो रहे हैं। गले में रुद्राक्ष की माला, माथे पर तिलक और साधगी से भरे उनके रूप ने लोगों का ध्यान आकर्षित किया है। इस युवती का नाम है हर्षा रिछारिया, जो इस बार महाकुंभ में एक नए रूप में दिखाई दे रही हैं।
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हर्षा रिछारिया, जो वर्तमान में निरंजनी अखाड़े की शिष्या हैं, अब जीवन के नए अध्याय में कदम रख चुकी हैं। उनका जन्म भले ही उत्तर प्रदेश के झांसी में हुआ हो, लेकिन बाद में वे मध्य प्रदेश के भोपाल में बस गईं, जहां उनके माता-पिता अब भी रहते हैं। हर्षा ने मुंबई और दिल्ली जैसे मेट्रो शहरों में भी काम किया, लेकिन उन्हें जीवन के असली उद्देश्य की तलाश थी। यह खोज उन्हें उत्तराखंड की वादियों तक ले गई, जहां वे अब साधना में लीन हैं।
गुरु के आशीर्वाद से जीवन में आया बदलाव
हर्षा बताती हैं कि दो साल पहले उनकी मुलाकात महामंडलेश्वर कैलाशानंद गिरि से हुई, जो उनके जीवन के सबसे महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुए। गुरु के सानिध्य में आने के बाद उनका जीवन पूरी तरह से बदल गया। वे अब अध्यात्म और सनातन धर्म की गहराइयों को समझने और आत्मसात करने में जुटी हैं। हर्षा का मानना है कि भक्ति और साधना की कोई उम्र नहीं होती। जब गुरु और भगवान की कृपा होती है, तब इंसान खुद-ब-खुद धर्म के रास्ते पर चल पड़ता है।
रील्स से साधना तक का सफर
आजकल के दौर में रील्स और सोशल मीडिया की दुनिया में हर्षा एक अलग ही पहचान बना चुकी हैं। वह धर्म और संस्कृति के प्रचार-प्रसार के लिए रील्स का उपयोग करती हैं, ताकि लोग अपनी जड़ें और पहचान फिर से जान सकें। हालांकि, साध्वी के रूप में उनका सफर अभी आधिकारिक रूप से शुरू नहीं हुआ है। हर्षा खुद कहती हैं, “मैंने अभी तक साध्वी की दीक्षा नहीं ली है, क्योंकि मैं अपने गुरु के आदेश का इंतजार कर रही हूं। साध्वी का टैग मेरे लिए अभी उपयुक्त नहीं है, जब तक कि गुरुजी मुझे इसके लिए तैयार नहीं मानते।”
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सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे उनके वीडियो में हर्षा का सरल और आस्थावान रूप लोगों को एक नई दिशा दिखा रहा है। यह तस्वीरें और वीडियो न सिर्फ एक साध्वी के रूप में उनके रूप को दिखाती हैं, बल्कि यह भी दर्शाती हैं कि एक साध्वी का जीवन सिर्फ भव्यता और दिखावे से कहीं अधिक होता है — यह आंतरिक शांति, साधना और समर्पण का प्रतीक है।