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PMFME: सरकार की इस योजना से मिलेंगा 10 लाख रु तक लोन सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण उद्यम स्थापित करने के लिए, जानिए कैसे

PMFME: युवाओं, किसानों, उद्यमियों, शिक्षितों, बेरोजगारों और गरीब असहाय एवं छोटे व्यापारियों के लिए प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नत योजना एक सुनहरा अवसर है, जो असंगठित सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां चला रहे हैं. केंद्र और राज्य सरकारें बेरोजगार युवाओं, किसान भाइयों, शिक्षितों और उद्यमियों को लाभ पहुंचाने के लिए सैकड़ों योजनाएं चलाती हैं. इन योजनाओं का लाभ उठाकर व्यक्ति अपना खुद का रोजगार स्थापित कर सकता है. ये योजनाएं कारोबार को बढ़ाने में भी सहायक होती हैं. ऐसी ही एक योजना है प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नत योजना. खरगोन जिले को वर्ष 2024-25 के लिए 200 यूनिट का लक्ष्य मिला है तो आइये जानते है इसके बारे में. .

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इतना मिलेंगा लोन

प्राप्त जानकारी के अनुसार, प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नत योजना के तहत प्रसंस्करण इकाइयां स्थापित करने पर अधिकतम 10 लाख रुपये का 35 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान है. जिले को वर्ष 2024-25 के लिए 200 यूनिट का लक्ष्य मिला है. दरअसल, प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उद्योग उन्नत योजना असंगठित सूक्ष्म खाद्य प्रसंस्करण इकाइयां चलाने वाले युवाओं, किसानों, उद्यमियों, शिक्षितों, बेरोजगारों और गरीब असहाय एवं छोटे व्यापारियों के लिए एक सुनहरा अवसर है. योजना में पंजीकरण के लिए आवश्यक दस्तावेज आधार कार्ड, पैन कार्ड, बैंक पासबुक के पहले और दूसरे पेजों की फोटोकॉपी, बिजली बिल, शैक्षणिक योग्यता आदि हैं.

प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नत योजना

खरगोन में प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नत योजना (पीएमएफएमई) के तहत समूह के तहत प्रसंस्करण इकाई के लिए एफपीओ निमारिलाल कृषि विकास फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी सुरपाल विकास खंड खरगोन के डेढ़ करोड़ रुपये और टेरेग्लेब फार्मर प्रोड्यूसर कंपनी लिमिटेड खरगोन के दो करोड़ रुपये के आवेदन बैंक स्तर पर जमा कर दिए गए हैं, जो राज्य नोडल एजेंसी भोपाल स्तर पर लंबित हैं. स्वीकृति मिलते ही जिले से मिर्च की ब्रांडिंग के लिए प्रस्ताव प्राप्त होंगे और आवेदन जमा किए जाएंगे. ताकि जिले के मिर्च उत्पादक किसानों को अधिक से अधिक लाभ मिल सके.

योजना के मुख्य उद्देश्य

  • असंगठित खाद्य उद्योगों का संगठन: इस योजना का प्रमुख उद्देश्य भारत में फैले हुए असंगठित खाद्य उद्योगों को संगठित करना है। इससे न केवल इन उद्योगों का आधुनिकीकरण होगा बल्कि इनके उत्पादों की गुणवत्ता में भी सुधार आएगा।
  • ग्रामीण रोजगार सृजन: यह योजना ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए अवसर पैदा करने पर केंद्रित है। खाद्य प्रसंस्करण उद्योगों को बढ़ावा देने से ग्रामीण युवाओं को अपने गांवों में ही रोजगार मिल सकेगा।
  • कृषि उत्पादों का मूल्यवर्धन: इस योजना के माध्यम से किसानों को अपने कृषि उत्पादों का मूल्यवर्धन करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। इससे किसानों की आय में वृद्धि होगी और वे आत्मनिर्भर बन सकेंगे।
  • स्वच्छ और सुरक्षित खाद्य: इस योजना का एक और महत्वपूर्ण उद्देश्य उपभोक्ताओं को स्वच्छ और सुरक्षित खाद्य उत्पाद उपलब्ध कराना है।

Vikash

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